आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रामकिशोर ‘नानो’ कावरे ने कहा है कि आज के दौर में आधुनिक जीवन-शैली के बीच उत्तम स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए आयुर्वेद ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का देश में 5 हजार वर्ष पुराना इतिहास है। वनों में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों से जटिल से जटिल रोग को बगैर किसी दुष्प्रभाव के जड़ से दूर किया जा सकता है। राज्य मंत्री श्री कावरे भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज के सभागार में आयुर्वेद डॉक्टर्स की कॉन्फ्रेंस “आयुर्वेद अमृत मंथन” को संबोधित कर रहे थे। कॉन्फ्रेंस में देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ शामिल हुए।
आयुर्वेद औषधि निर्माण पार्क की अच्छी संभावनाएँ
आयुष मंत्री श्री कावरे ने कहा कि कोरोना काल में जन-सामान्य ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद के महत्व को समझा। मध्यप्रदेश में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से समृद्ध वन क्षेत्र है। वनों में पाई जानी वाली औषधियों से दवाइयों का निर्माण किया जा सकता है। प्रदेश में आयुष औषधियों के निर्माण की प्रबल संभावना है। प्रदेश में आयुष औषधि निर्माण पार्क की स्थापना की जा सकती है। आयुर्वेद के विकास के लिए हमें वर्ष 2047 के विजन को लेकर योजना बनाने की जरूरत है।
आयुक्त आयुष श्रीमती सोनाली वायंगणकर पोंक्षे ने बताया कि प्रदेश में देवारण्य योजना के माध्यम से किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिये किसानों को विशेष प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है। औषधीय पौधों के प्र-संस्करण, भण्डारण और विपणन के लिये आयुर्वेद कम्पनियों के साथ एमओयू किये जा रहे हैं। लघु वनोपज संघ के सीईओ डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि प्रदेश में संघ द्वारा विंध्य हर्बल ब्रॉण्ड से कई महत्वपूर्ण औषधियों का निर्माण किया जा रहा है। देशभर में इस ब्रॉण्ड ने अपनी विश्वसनीयता से विशिष्ट पहचान बनाई है।
कॉन्फ्रेंस को महानिदेशक सी.सी.आर.ए.एस. नई दिल्ली के डॉ. रवि नारायण और बैंगलुरु के प्रो. जी.जी. गंगाधरन ने भी संबोधित किया। प्रारंभ में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने बताया कि कॉलेज में आयुर्वेद के क्षेत्र में विद्यार्थियों द्वारा नियमित रूप से नये-नये शोध किये जा रहे हैं।