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HAMMER बम से दुश्मन पर सीधा वार! ऑपरेशन सिंदूर में राफेल-हैमर की जोड़ी ने दिखाया दम

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हैमर बम: कैसे राफेल से दुश्मन पर बरसे, एकदम सटीक निशाना- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में, भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में छिपे आतंकियों के ठिकानों पर ज़बरदस्त हमला किया। इस एक्शन में 9 आतंकी ठिकानों को बम से उड़ा दिया गया। कुछ ठिकाने पीओके में थे और कुछ पाकिस्तान के अंदर। अभी तक ये नहीं पता चला है कि हमलों में कौन से बम इस्तेमाल हुए थे। रक्षा मंत्रालय ने बस इतना कहा कि हमला एकदम सटीक था, सोच-समझकर किया गया था और किसी भी पाकिस्तानी आर्मी बेस को निशाना नहीं बनाया गया। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस ऑपरेशन में ‘हैमर बम’ का इस्तेमाल हुआ था। ये ‘हैमर’ बम फ्रांस से मँगवाए गए हैं और अब भारतीय एयरफोर्स के राफेल फाइटर जेट्स के साथ इस्तेमाल हो रहे हैं। ये कोई मामूली बम नहीं है, बल्कि बहुत आधुनिक हथियार है, जो ऊँचे पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से और सही तरीके से दुश्मन के ठिकाने पर वार कर सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि दिन हो या रात, मौसम कैसा भी हो, ये हमेशा एक जैसा काम करता है। खास तौर पर लद्दाख जैसे इलाकों में, जहाँ मौसम और ऊँचाई के कारण हमला करना मुश्किल होता है।

हैमर बम क्या है?

हैमर बम को फ्रांस की Safran Electronics & Defense कंपनी ने बनाया है। इसका पूरा नाम है – Highly Agile Modular Munition Extended Range, मतलब ऐसा हथियार जो तेज़, लचीला हो और बहुत दूर तक मार कर सके। फ्रेंच में इसे AASM (Armement Air-Sol Modulaire) कहते हैं। ये एक एयर-टू-ग्राउंड बम है, यानी इसे हवाई जहाज से गिराकर ज़मीन पर दुश्मन के ठिकाने पर निशाना बनाया जाता है।

ये कैसे काम करता है?

हैमर बम में GPS, इनर्शियल गाइडेंस और लेज़र या इन्फ्रारेड टेक्नोलॉजी लगी होती है, जिससे ये अपने टारगेट को एकदम सटीक पकड़ता है। इसका डिज़ाइन ऐसा है कि एक आम बम ( 250, 500 या 1000 किलो का) एक खास गाइडेंस और मोटर सिस्टम से जोड़ा जाता है, जो इसे तेज़ और सटीक बनाता है।

कितनी दूर तक मार करता है?

हैमर बम में एक छोटा रॉकेट इंजन लगा होता है, जिसकी वजह से ये करीब 70 किलोमीटर तक के टारगेट पर हमला कर सकता है। इसका फायदा ये है कि फाइटर प्लेन को दुश्मन के इलाके में अंदर जाने की ज़रूरत नहीं होती – पायलट दूर से ही बम गिरा सकते हैं।

हर मौसम में काम करता है

ये बम दिन हो या रात, बारिश हो या कोहरा – हर मौसम में एक जैसा काम करता है। जबकि, आम लेज़र गाइडेड बमों को खराब मौसम में दिक्कत होती है, लेकिन हैमर बम इस कमी को पूरी तरह से दूर करता है।

भारतीय एयरफोर्स को मिला नया हथियार

भारत ने फ्रांस से ये बम खास तौर पर इसलिए खरीदे हैं ताकि राफेल फाइटर जेट्स की ताकत और बढ़ाई जा सके। लद्दाख जैसे ऊँचे और मुश्किल इलाकों में जहाँ GPS और लेज़र गाइडेंस काम नहीं करते, वहाँ हैमर बम भारतीय सेना की बड़ी मदद कर सकता है। ये भारत की रक्षा को और मज़बूत बनाता है।

राफेल और हैमर – ज़बरदस्त जोड़ी

अब जब राफेल जैसे आधुनिक फाइटर प्लेन के पास हैमर बम हैं, तो ये दुश्मनों के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गया है। राफेल के पायलट अब दूर से ही दुश्मन पर हमला कर सकते हैं, और उन्हें खुद खतरे में जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। यही वजह है कि राफेल और हैमर की जोड़ी को ‘गेमचेंजर’ कहा जा रहा है।

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