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डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हुआ, तेल की कीमतों में गिरावट और तनाव कम होने से राहत

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 रुपये की उड़ान: डॉलर की कमजोरी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से बाजार में आया बदलाव!

 डॉलर की कमजोरी और कच्चे तेल की गिरती कीमतों ने रुपये को दिया सहारा-इस हफ़्ते की शुरुआत में रुपये ने डॉलर के मुकाबले 6 पैसे की बढ़त दिखाई और 85.44 के स्तर को छुआ। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट। डॉलर इंडेक्स 97 के स्तर पर आ गया है, जबकि ब्रेंट क्रूड 67 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ गया है। इससे रुपये को मजबूती मिली है और निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा है।

 ईरान-इज़राइल संघर्ष का असर: तेल बाजार को मिली राहत-ईरान और इज़राइल के बीच तनाव के चलते पहले तेल बाजार में काफी चिंता थी। लेकिन दोनों देशों के बीच युद्धविराम हो जाने से तेल की मांग में कमी आई है, जिससे कीमतों में गिरावट आई है। इससे डॉलर की मांग भी कम हुई है और रुपये को फायदा हुआ है। यह घटनाक्रम वैश्विक बाजारों पर भू-राजनीतिक प्रभावों को दर्शाता है।

शुरुआती कारोबार में रुपया 85.44 पर पहुंचा, शुक्रवार को भी दिखी तेज़ी-सोमवार को रुपया 85.48 पर खुला और शुरुआती कारोबार में 85.44 के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले कारोबारी दिन से 6 पैसे की तेज़ी है। शुक्रवार को भी रुपये में 22 पैसे की मजबूती देखी गई थी। लगातार दो दिनों की तेज़ी से पता चलता है कि विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये के प्रति सकारात्मक रुझान है।

 भू-राजनीतिक तनाव: डॉलर की वापसी की आशंका-हालांकि अभी रुपये के लिए हालात अच्छे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने पर डॉलर फिर से मजबूत हो सकता है। इससे उभरते बाजारों पर असर पड़ सकता है और अस्थिरता की संभावना बनी रह सकती है।

 विशेषज्ञों का अनुमान: रुपया 85.20-85.40 के स्तर पर मिलेगा सहारा-CR Forex Advisors के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित पबरी का मानना है कि रुपया 85.20-85.40 के स्तर पर सहारा पा सकता है और फिर 86 के पार जा सकता है। यह दर्शाता है कि वर्तमान मजबूती अस्थायी हो सकती है। भू-राजनीतिक स्थिरता के बिना, बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।

 डॉलर इंडेक्स और क्रूड तेल: रुपये के लिए महत्वपूर्ण संकेतक-डॉलर इंडेक्स में गिरावट और क्रूड तेल की कीमतों में कमी से रुपये को समर्थन मिल रहा है। इन दोनों कारकों से आने वाले दिनों में रुपये के लिए कुछ बेहतर संभावनाएं दिख रही हैं, बशर्ते कोई बड़ा झटका न लगे।

 शेयर बाजार और विदेशी निवेश: मिश्रित संकेत-हालांकि रुपये में मजबूती आई है, लेकिन घरेलू शेयर बाजार में हल्की गिरावट देखी गई है। लेकिन विदेशी निवेशकों ने शेयरों में निवेश किया है, जिससे बाजार में निवेश का भरोसा बना हुआ है।

 भारत का विदेशी मुद्रा भंडार: मामूली कमी-भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.01 अरब डॉलर घटकर 697.93 अरब डॉलर रह गया है। हालांकि, यह अभी भी एक मजबूत स्तर पर है।

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