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सुनीता विलियम्स की 9 महीने लंबी अंतरिक्ष यात्रा का समापन, सकुशल पृथ्वी पर वापसी

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सुनीता विलियम्स: नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की आठ दिन की यात्रा एक बड़ी चुनौती बन गई, जब उनके बोइंग स्पेस फ्लाइट में तकनीकी दिक्कतें आ गईं, जिससे उनकी यह यात्रा नौ महीने से भी लंबी हो गई। विलियम्स और उनके साथी बैरी विलमोर ने ISS को अलविदा कहा, जहां वे पिछले साल जून से रह रहे थे। वे दो अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ स्पेसएक्स कैप्सूल में सवार होकर लौटे। मंगलवार को कैप्सूल ने स्पेस स्टेशन से अलग होकर बुधवार सुबह फ्लोरिडा के तट पर लैंडिंग की। इस मिशन में सुनीता विलियम्स ने कुल 286 दिन अंतरिक्ष में बिताए। यह उनकी तीसरी अंतरिक्ष यात्रा थी और अब तक वे कुल 608 दिन अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं। सुनीता विलियम्स, जो अमेरिकी नौसेना की पूर्व कप्तान हैं, का जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहायो में हुआ था। उनके पिता दीपक पंड्या गुजरात के मेहसाणा जिले के झालुसन गांव से हैं, जबकि उनकी मां उर्सुलिन बोनी पंड्या स्लोवेनियाई मूल की हैं। अपनी जड़ों पर गर्व करने वाली सुनीता ने अंतरिक्ष में भारतीय विरासत के प्रतीक भी ले जाए हैं, जिनमें समोसा, एक गणेश प्रतिमा और स्लोवेनियाई झंडा शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके सुरक्षित पृथ्वी पर लौटने का स्वागत किया और उन्हें “प्रेरणादायक और साहसी” बताया। मोदी ने कहा, “अंतरिक्ष अन्वेषण मानव क्षमता की सीमाओं को लांघने, बड़े सपने देखने और उन्हें हकीकत में बदलने की हिम्मत रखने के बारे में है। सुनीता विलियम्स ने अपने पूरे करियर में इस भावना को जीवंत किया है।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी सुनीता को बधाई देते हुए उन्हें “भारत की बेटी” कहा और उनके साथ लौटे अंतरिक्ष यात्रियों की सराहना की। उन्होंने अपने संदेश में लिखा, “नासा के क्रू-9 मिशन की सुरक्षित वापसी पर पूरी टीम को बधाई! भारत की बेटी सुनीता विलियम्स और उनके साथियों ने अपनी दृढ़ता, समर्पण और कभी हार न मानने की भावना से सबको प्रेरित किया है।”

सुनीता ने इस मिशन के दौरान एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। 30 जनवरी को उन्होंने स्पेसवॉक में सबसे ज्यादा समय बिताने का नया रिकॉर्ड बनाया, जो पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन के नाम था। अब तक सुनीता ने 62 घंटे 9 मिनट का स्पेसवॉक पूरा किया है। बचपन से ही विज्ञान में रुचि रखने वाली सुनीता का सपना वेटरिनरी डॉक्टर बनने का था, लेकिन उनके भाई जय के साथ अमेरिकी नौसेना अकादमी की यात्रा ने उनका मन बदल दिया। उस समय हॉलीवुड फिल्म टॉप गन बेहद लोकप्रिय थी, जिसने उन्हें नौसेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नौसेना में एविएशन ट्रेनिंग ली और लड़ाकू विमान उड़ाने का मौका मिलने वाला था, लेकिन उन्होंने हेलीकॉप्टर पायलट बनने का फैसला किया। 1989 में उन्हें नौसेना पायलट के रूप में नियुक्त किया गया और उन्होंने वर्जीनिया में हेलीकॉप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन 8 में सेवा दी। इस दौरान उन्होंने रेड सी, मेडिटेरेनियन और पर्शियन गल्फ में डेजर्ट शील्ड और ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट के दौरान सैनिकों और राहत सामग्री पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी नेतृत्व क्षमता और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करने की योग्यता ने उन्हें एक सफल अंतरिक्ष यात्री बना दिया।

1998 में नासा ने उन्हें अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना। उन्होंने जॉनसन स्पेस सेंटर में प्रशिक्षण लिया और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ काम किया। सुनीता ने 9 दिसंबर 2006 को स्पेस शटल डिस्कवरी के जरिए पहली बार ISS की यात्रा की और वहां 195 दिन बिताए। इसके बाद 17 जुलाई 2012 को वे एक और मिशन के तहत रूसी अंतरिक्ष यान सॉयुज से अंतरिक्ष स्टेशन पहुंची और चार महीने बाद 19 नवंबर को पृथ्वी पर लौटीं। 2007 में, उन्होंने अंतरिक्ष में रहते हुए बोस्टन मैराथन पूरी करने वाली पहली व्यक्ति बनने का रिकॉर्ड भी बनाया। उन्होंने यह मैराथन अंतरिक्ष स्टेशन पर ट्रेडमिल पर 4 घंटे 24 मिनट में पूरी की। 2012 में अपने दूसरे मिशन के दौरान, वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कमान संभालने वाली दूसरी महिला बनीं। उन्होंने वहां से एक त्रैथलॉन पूरा किया और एक चर्चित फोटो भी ली, जिसमें वह स्पेसवॉक के दौरान “सूरज को छूती” हुई नजर आईं।सुनीता कई बार भारत आ चुकी हैं। 2007 और 2013 में अपने अंतरिक्ष मिशन के बाद उन्होंने भारत का दौरा किया और 2008 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्हें भारत की गौरवशाली बेटी बताते हुए देश आने का न्योता दिया गया था। निजी जीवन में सुनीता को दौड़ना, तैराकी और साइक्लिंग पसंद है। वह माइकल जे. विलियम्स से विवाहित हैं, जो एक संघीय पुलिस अधिकारी हैं।

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