बजट 2025 आर्थिक प्रोत्साहन की उम्मीद, वित्तीय अनुशासन पर भी नजर

बजट 2025 : बजट 2025 को लेकर उम्मीदें टैक्स कटौती, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और आर्थिक सुधारों पर जोर देश के अलग-अलग क्षेत्रों के जानकारों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में टैक्स दरों को संतुलित करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाएंगी, साथ ही वित्तीय अनुशासन का भी ध्यान रखेंगी। उद्योग जगत को इस बार मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। खासकर, 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को रफ्तार देने की उम्मीद जताई जा रही है। राजकोषीय घाटे पर रहेगा मुख्य ध्यान बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि इस बजट का मुख्य आधार राजकोषीय घाटा रहेगा। संभावना है कि इसे 0.5% घटाकर जीडीपी के 4.3-4.4% तक लाने का लक्ष्य रखा जाएगा। इसी दायरे में सरकार पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) को बनाए रखेगी या और बढ़ाएगी, जो लगभग 11 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। बैंकिंग सेक्टर की बात करें तो, बैंक डिपॉजिट पर टैक्स छूट की दरों को अधिक आकर्षक बनाने की जरूरत है, ताकि बैंक डिपॉजिट और शेयर बाजार के बीच संतुलन बना रहे और निवेशकों को फायदा हो। आईक्रा के सेक्टर हेड सचिन सचदेवा का मानना है कि खुदरा क्षेत्र से बैंक डिपॉजिट जुटाने में आ रही चुनौतियों को देखते हुए, इस बजट में बैंक डिपॉजिट को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ राहत देने की जरूरत है।
हाउसिंग सेक्टर को राहत की उम्मीद आधार हाउसिंग फाइनेंस के एमडी और सीईओ ऋषि आनंद ने सुझाव दिया कि होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली 2 लाख रुपये की टैक्स छूट को बढ़ाकर 4 लाख रुपये किया जाना चाहिए। साथ ही, जो लोग पहली बार घर खरीद रहे हैं और जिनका घर अभी निर्माणाधीन है, उनके लिए भी अधिकतम दो साल तक इस छूट का लाभ मिलना चाहिए। ई-कॉमर्स सेक्टर को राहत की उम्मीद ईज़ी पे के मैनेजिंग डायरेक्टर निलय पटेल का मानना है कि सरकार ई-कॉमर्स क्षेत्र में पिछले साल किए गए टीडीएस दर में कमी (1% से 0.1% तक) को और बढ़ाने जैसे फैसले ले सकती है, ताकि इस सेक्टर को अधिक तरलता मिल सके और कंप्लायंस की प्रक्रियाएं सरल हों। शिक्षा क्षेत्र के लिए सुधारों की मांग डब्ल्यूटीसी बिजनेस एंड इंडस्ट्री एसोसिएशन ने वित्त मंत्री से बजट 2025 में शिक्षा क्षेत्र में सुधारों की मांग की है। इसके तहत टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग, एजुकेशन को किफायती बनाने, इंडस्ट्री और एकेडमिक संस्थानों के बीच मजबूत साझेदारी और कौशल विकास पर ध्यान देने की जरूरत बताई गई है।
वित्तीय निवेश और बीमा क्षेत्र की उम्मीदें गोल्डन ग्रोथ फंड (GGF) के सीईओ अंकुर jalan का कहना है कि वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) अब निवेशकों के लिए संपत्ति विविधीकरण का एक पसंदीदा जरिया बन चुका है। उन्होंने सुझाव दिया कि सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध संपत्तियों पर पूंजीगत लाभ कर को समान करना चाहिए, ताकि विदेशी और घरेलू निवेशकों को अधिक आकर्षित किया जा सके। मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ प्रशांत त्रिपाठी ने जीवन बीमा को टैक्स के दायरे में अलग श्रेणी देने की मांग की, ताकि अधिक लोगों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सके। इन्फ्रास्ट्रक्चर और उद्योग जगत की मांगें आरएचआई मैग्नेसाइट इंडिया के सीएमडी परमोद सागर का कहना है कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में जिन नीतियों और बजटीय घोषणाओं से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया है, उन्हें जारी रखा जाना चाहिए। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की विशेषज्ञ तान्या सिंघल ने सुझाव दिया कि 500 करोड़ रुपये का ‘स्टोरेज इनोवेशन फंड’ बनाया जाए, जिससे स्टार्टअप्स और शोध संस्थानों को अगली पीढ़ी की स्टोरेज तकनीक विकसित करने में मदद मिले। इसके अलावा, उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी निर्माण इकाइयों के लिए टैक्स हॉलिडे (टैक्स में छूट) की भी मांग की गई है। उम्मीदों पर टिकी नजरें इस बजट से उद्योग जगत, शिक्षा क्षेत्र, बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश जगत को कई उम्मीदें हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किन क्षेत्रों को प्राथमिकता देती हैं और किस तरह के सुधारों की घोषणा करती हैं।