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“हर दिन नया तमाशा”: एनसीपी प्रवक्ता की तीखी टिप्पणी, बोले- रायगढ़ के तीन नेता हैं ‘थ्री इडियट्स’

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 महाराष्ट्र की सियासत में गरमागरम बहस: एनसीपी का शिवसेना पर तूफानी हमला

एनसीपी का आरोप: शोक में भी राजनीति?-एनसीपी (अजित पवार गुट) ने शिवसेना मंत्री भरत गोगावले पर निजी दुख के समय भी राजनीति करने का आरोप लगाया है। एनसीपी प्रवक्ता आनंद परांजपे ने गोगावले और अन्य नेताओं को ‘थ्री इडियट्स’ कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे के परिवार को हवाई दुर्घटना का सदमा लगा है, उस समय भी गोगावले राजनीतिक हमले कर रहे हैं। परांजपे का मानना है कि यह राजनीतिक अपरिपक्वता और संवेदनहीनता दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर तटकरे संयम न बरतते तो गोगावले जैसे नेता राजनीति से बाहर हो चुके होते। यह घटना सिर्फ व्यक्तिगत हमला नहीं बल्कि बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा लगता है।

पलटवार की चेतावनी: घोटालों का खुलासा-परांजपे ने चेतावनी दी है कि अगर तटकरे के खिलाफ सिंचाई घोटाले के पुराने मामले उठाए गए, तो एनसीपी रायगढ़ जिले में हुए आर्थिक घोटालों का खुलासा करेगी। उन्होंने रायगढ़ जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल में हुई वित्तीय गड़बड़ियों का जिक्र किया। यह संकेत है कि एनसीपी अब पलटवार करेगी और जल्द ही और खुलासे कर सकती है। इससे साफ है कि यह मामला अब सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कार्रवाई की ओर भी बढ़ सकता है।

इम्तियाज जलिल पर भी हमला: धर्म के नाम पर राजनीति?-परांजपे ने एआईएमआईएम के पूर्व सांसद इम्तियाज जलिल पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर राजनीति करने वाले नेताओं को बाला साहेब ठाकरे जैसे नेताओं पर टिप्पणी करने का कोई हक नहीं है। एनसीपी ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी तरह की सांप्रदायिक राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेगी।

शरद पवार गुट: अलग राजनीतिक पहचान-परांजपे ने स्पष्ट किया कि शरद पवार गुट अब एक अलग राजनीतिक पार्टी है। उन्होंने कहा कि वे चुनावी कैंप या रैली करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इसे एनसीपी (अजित पवार गुट) की गतिविधि न समझा जाए। यह बयान मतदाताओं में भ्रम दूर करने और दोनों गुटों की पहचान स्पष्ट रखने के लिए है।

 संवेदना और राजनीति की पतली रेखा-आनंद परांजपे के बयानों से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मची है। जब नेता व्यक्तिगत दुख में भी राजनीति करते हैं, तो संवेदना और राजनीति के बीच की रेखा कितनी पतली हो गई है, यह सवाल उठता है। आने वाले दिनों में यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है।

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