Politics

मराठी भाषा को लेकर घमासान: संजय राउत बोले – “मराठी पर हमले की साजिश है तीन भाषा फार्मूला”

14 / 100 SEO Score

 संजय राउत का तीखा हमला: क्या मराठी भाषा को खतरा है?-महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर गरमागरम बहस छिड़ी हुई है, और शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि सरकार की तरफ से मराठी भाषा को लेकर जो कदम उठाए जा रहे हैं, वो महज दिखावा है और असल में सरकार मराठी के बजाय हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश कर रही है।

दिखावटी बैठकें और मराठी का अपमान?-राउत का आरोप है कि सरकार द्वारा बुलाई जा रही बैठकें सिर्फ दिखावे के लिए हैं। इन बैठकों से मराठी भाषा का अपमान हो रहा है और सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं। उनका मानना है कि यह सब हिंदी भाषा को थोपने की एक चाल है, जिसके पीछे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का हाथ है। राउत ने सरकार से सवाल किया कि क्या मराठी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कभी ऐसी बैठकें हुई हैं?

 चुप साहित्यकार और कलाकार: डर या समर्थन?-संजय राउत ने कई मराठी साहित्यकारों और फिल्म सितारों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब मराठी भाषा पर संकट है, तो ये लोग क्यों चुप हैं? क्या सरकार से मिले पुरस्कारों और सम्मानों के कारण इनकी आवाज दब गई है? क्या ये चुप्पी डर की वजह से है या सरकार का समर्थन करने की वजह से?

गुजरात में क्यों नहीं? महाराष्ट्र पर हिंदी क्यों थोप रहे हैं?-राउत ने सरकार से सीधा सवाल पूछा है कि अगर हिंदी भाषा इतनी ज़रूरी है, तो फिर गुजरात में इसे क्यों अनिवार्य नहीं किया गया? उन्होंने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधा है और उनसे पूछा है कि क्या उनमें इतनी हिम्मत है कि वो बीजेपी से ये सवाल करें? क्या सिर्फ़ मराठी बच्चों पर ही हिंदी थोपना ज़रूरी है?

मराठी के नाम पर दिखावा: अंग्रेजी स्कूल और दोहरा चरित्र-राउत ने राज्य के कई मंत्रियों और साहित्यकारों पर आरोप लगाया है कि वे अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाते हैं और फिर मराठी के संरक्षण की बात करते हैं। उनका कहना है कि यह दोहरा चरित्र है और इन लोगों को मराठी के संरक्षण पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

 दक्षिण भारत से सबक: चुप क्यों हैं महाराष्ट्र के कलाकार?-राउत ने दक्षिण भारत के अभिनेता प्रकाश राज का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे हिंदी थोपे जाने के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, तो महाराष्ट्र के कलाकार जैसे नाना पाटेकर, प्राशांत दामले, माधुरी दीक्षित और मराठी क्रिकेटर क्यों चुप हैं? उन्होंने इन कलाकारों से सवाल किया है कि जब मराठी भाषा पर संकट है, तो उनकी आवाज कहाँ है?

क्या फडणवीस को 10 मराठी साहित्यकारों के नाम भी पता हैं?-राउत ने मुख्यमंत्री फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें शायद 10 मराठी साहित्यकारों के नाम भी याद नहीं होंगे। उनका कहना है कि ये नेता दिखावे के लिए साहित्यकारों से मिल रहे हैं, लेकिन उन्हें मराठी साहित्य की असली समझ नहीं है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button