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भारत बना दुनिया का नया हथियार सप्लायर, रूस को पीछे छोड़ दी बड़ी छलांग

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भारत रक्षा क्षेत्र में रूस की जगह ले रहा है भारत अब हथियार खरीदने वाले देशों को सस्ती और लंबी अवधि के लिए लोन ऑफर कर रहा है। भारत का ध्यान उन देशों पर है जो पहले रूस से हथियार खरीदते थे। लेकिन यूक्रेन में शुरू हुई जंग ने एक तरफ बहुत कुछ बिगाड़ दिया है, वहीं दूसरी तरफ कई देशों के लिए नए रास्ते भी खोले हैं। भारत अब इन नए रास्तों को खोजने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस बदलाव का फायदा उठाना चाहता है। यूक्रेन के बाद, भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार खरीदार बन गया है और अब वह हथियारों के निर्यात को प्राथमिकता दे रहा है। भारत का लोन ऑफर भारत ने इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक (EXIM बैंक) के माध्यम से लोन ऑफर करने का निर्णय लिया है। दो सरकारी अधिकारियों और तीन कंपनियों के सूत्रों के अनुसार, इस योजना के तहत EXIM बैंक के माध्यम से भारत कम ब्याज पर लॉन्ग टर्म लोन दे रहा है। यह ऑफर उन देशों के लिए एक बढ़िया डील साबित हो सकता है जिनकी क्रेडिट रेटिंग खराब है या जिनका लोन चुकाने का इतिहास ठीक नहीं है, जैसे कि श्रीलंका और साउथ सूडान।

रूस-यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव फरवरी 2022 में, रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, जिसके कारण अमेरिका और रूस दोनों ने अपने हथियार तैनात कर दिए। नतीजतन, अफ्रीकी, दक्षिण अमेरिकी और एशियाई देशों को हथियारों की कमी का सामना करना पड़ा। इस अवसर को पहचानते हुए, भारत ने इन देशों के साथ अपनी भागीदारी बढ़ाई है, जिसमें करीब 20 देशों में भारत अपने डिप्लोमेट्स भेज सकता है। भारत की डिफेंस इंडस्ट्री में तेजी भारत की डिफेंस इंडस्ट्री में पिछले कुछ सालों में काफी तेजी आई है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह रणनीति उसे एक विश्वसनीय वैश्विक हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित कर सकती है। अगर ऐसा होता है, तो भारत के इन सभी देशों से संबंध काफी बेहतर हो सकते हैं, और भारत को अपने हथियारों को बेचने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। हथियारों के व्यापार में रूस का वर्चस्व कम स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2015-19 की तुलना में 2020-24 के बीच रूस के हथियारों के निर्यात में 64% की गिरावट आई है। इसके कारण रूस की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी 20% से घटकर 7.8% पर पहुंच गई है।

भारत का रक्षा उत्पादन भारत का रक्षा उत्पादन पिछले चार सालों में 62% बढ़ा है। 2023-24 में भारत ने लगभग ₹1.27 लाख करोड़ के हथियार बनाए हैं। भारत का लक्ष्य 2029 तक डिफेंस एक्सपोर्ट को 6 बिलियन डॉलर (करीब ₹50 हज़ार करोड़) तक बढ़ाना है। भारतीय हथियारों की कीमत भारत में निर्मित तोपों की कीमत 300-400 डॉलर है, जबकि यूरोप में इसकी कीमत 3,000 डॉलर है। भारत में निर्मित एक हॉवित्जर तोप 25 करोड़ रुपये में बिकती है, जो यूरोपीय समकक्ष की कीमत का लगभग आधा है। EXIM बैंक की भूमिका भारत EXIM बैंक के जरिए लोन बांट रहा है क्योंकि अधिकांश भारतीय बैंक राजनीतिक जोखिमों के कारण हथियारों की बिक्री में हिचकिचाते हैं। इस साल भारत ने ब्राजील में EXIM शाखा खोली है और वहां मिसाइलों की बिक्री पर बातचीत कर रहा है। भारत के नए रक्षा केंद्र भारत मार्च 2026 तक विदेशों में 20 नए रक्षा केंद्र बनाने की योजना बना रहा है। ये केंद्र अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया में होंगे, और इन सैन्य राजनयिकों को अल्जीरिया, मोरक्को, गुयाना, तंजानिया, अर्जेंटीना, इथियोपिया, कंबोडिया आदि में तैनात किया जाएगा। भारत की प्रगति पश्चिमी देशों में तैनात सैन्य राजनयिकों की संख्या घटेगी क्योंकि उन्हें कहीं और भेजा जाएगा। पिछले साल भारत ने आर्मेनिया में एक सैन्य राजनयिक नियुक्त किया, जिससे वहां रूस के दबदबे को चुनौती मिली।

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